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Poem | मां बाप की इज्जत को बचाया होगा उसने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा !

This Poem is Really Heart Touching...! प्रेमिका की शादी कहीं और हो जाती है तब प्रेमी कहता है... . आज दुल्हन के लाल जोङे में उसकी सहेलियों ने सजाया होगा . मेरी जान के गोरे हाथों पर सखियों ने मेहंदी को लगाया होगा . बहुत गहरा चढेगा मेहंदी का रंगा उस मेहंदी में उसने मेरा नाम छुपाया होगा . रह रहकर रो पङेगी जब भी उसे मेरा ख्याल आया होगा . खुद को देखेगी जब आइने में तो अक्श उसको मेरा भी नजर आया होगा . लग रही होगी एक सुंदर सी बाला चांद भी उसे देखकर शर्माया होगा . आज मेरी जान ने अपने मां बाप की इज्जत को बचाया होगा उसने बेटी होने का फर्ज निभाया होगा . मजबूर होगी वो बहुत ज्यादा सोचता हुं कैसै खुद को समझाया होगा . अपने हाथों से उसने हमारे प्रेम खतों को जलाया होगा . खुद को मजबूर बनाकर उसने दिल से मेरी यादों को मिटाया होगा . भूखी होगी वो मैं जानता हुं पगली ने कुछ ना मेरे बगैर खाया होगा . कैसे संभाला होगा खुद को जब फैरों के लिए उसे बुलाया होगा . कांपता होगा जिस्म उसका जब पंडित ने हाथ उसका किसी और के हाथ में पकङाया होगा . रो रोकर बुरा हाल हो जाएगा उसका जब वक्त विदाई का आया होगा . रो पङेगी आत्मा भी दिल