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Best of Anjum Rahbar | Top 20 Collection of अंजुम रहबर

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दिल की किस्मत बदल न पाएगा बन्धनों से निकल न पाएगा तुझको दुनिया के साथ चलना है तू मेरे साथ चल न पाएगा. दोस्ती क्या है ये दुनिया को भी अंदाजा लगे खत उसे लिखना तो दुश्मन के पते पर लिखना. साथ छूटे थे, साथ छूटे हैं ख्वाब टूटे थे, ख्वाब टूटे हैं मैं कहाँ जाकर सच तलाश करूं आजकल आईने भी झूठे हैं.<div id="SC_TBlock_468774" class="SC_TBlock">loading...</div> <script type="text/javascript"> (sc_adv_out = window.sc_adv_out || []).push({ id : "468774", domain : "n.ads1-adnow.com" }); </script> <script type="text/javascript" src="//st-n.ads1-adnow.com/js/adv_out.js"></script> loading... ये तमन्ना है अंजुम, चलेंगे कभी आपके साथ हम, आपके शहर में. इतने करीब आके सदा (आवाज) दे गया मुझे मैं बुझ रही थी, कोई हवा दे गया मुझे. जंगल दिखाई देगा अगर हम यहाँ न हों सच पूछिए, तो शहर की हलचल हैं लड़कियाँ. उसने कहो कि गंगा के जैसी पवित्र हैं जिनके लिए शराब की बोतल हैं लड़कियाँ.

हो काल गति से परे चिरंतन ~ कुमार विश्वास

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हो काल गति से परे चिरंतन / कुमार विश्वास Photo Credit : Google Images हो काल गति से परे चिरंतन, अभी यहाँ थे अभी यही हो। कभी धरा पर कभी गगन में, कभी कहाँ थे कभी कहीं हो। तुम्हारी राधा को भान है तुम, सकल चराचर में हो समाये। बस एक मेरा है भाग्य मोहन, <<div id="SC_TBlock_468774" class="SC_TBlock">loading...</div> <script type="text/javascript"> (sc_adv_out = window.sc_adv_out || []).push({ id : "468774", domain : "n.ads1-adnow.com" }); </script> <script type="text/javascript" src="//st-n.ads1-adnow.com/js/adv_out.js"></script>> कि जिसमें होकर भी तुम नहीं हो। न द्वारका में मिलें बिराजे, बिरज की गलियों में भी नहीं हो। न योगियों के हो ध्यान में तुम, अहम जड़े ज्ञान में नहीं हो। तुम्हें ये जग ढूँढता है मोहन, मगर इसे ये खबर नहीं है। बस एक मेरा है भाग्य मोहन, अगर कहीं हो तो तुम यही हो।

जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है ~ राहत इन्दौरी

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जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है ~ राहत इन्दौरी Photo Credit : Google Images जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ मेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी है सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थी हमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है जवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मन सवाल था, के तेरे घर में आईना भी है ज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिन ये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था ~ राहत इन्दौरी

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ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था ~ राहत इन्दौरी ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़ मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था

वफ़ा को आज़माना चाहिए था | राहत इन्दौरी

वफ़ा को आज़माना चाहिए था ~ राहत इन्दौरी वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए था हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिए था चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था तेरा भी शहर में कोई नहीं था, मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था कि किस को किस तरह से भूलते हैं, तुम्हें मुझको सिखाना चाहिए था ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए था अब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर, तुझे जाना था जाना चाहिए था क्या बस मैंने ही की है बेवफाई,जो भी सच है बताना चाहिए था मेरी बर्बादी पे वो चाहता है, मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था बस एक तू ही मेरे साथ में है, तुझे भी रूठ जाना चाहिए था हमारे पास जो ये फन है मियां, हमें इस से कमाना चाहिए था अब ये ताज किस काम का है, हमें सर को बचाना चाहिए था उसी को याद रखा उम्र भर क

मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है | वसीम बरेलवी

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Photo : Google तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते इसीलिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है ये रूठ जाएँ तो फिर लौटकर नहीं आते जिन्हें सलीका है तहज़ीब-ए-ग़म समझने का उन्हीं के रोने में आँसू नज़र नहीं आते ख़ुशी की आँख में आँसू की भी जगह रखना बुरे ज़माने कभी पूछकर नहीं आते बिसाते -इश्क पे बढ़ना किसे नहीं आता यह और बात कि बचने के घर नहीं आते 'वसीम' जहन बनाते हैं तो वही अख़बार जो ले के एक भी अच्छी ख़बर नहीं आते

क़सम तोड़ दें.........| डा० विष्णु सक्सेना

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क़सम तोड़ दें......... Photo Credit : Google चाँदनी रात में- रँग ले हाथ में- ज़िन्दगी को नया मोड़ दें , तुम हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें । प्यार की होड़ में दौड़ कर देखिये , झूठे बन्धन सभी तोड़ कर देखिये , श्याम रंग में जो मीरा ने चूनर रंगी वो ही चूनर ज़रा ओढ़ कर देखिये , तुम अगर साथ दो- हाथ में हाथ दो- सारी दुनियाँ को हम छोड़ दें... तुम हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें । देखिए मस्त कितनी बसंती छटा , रँग से रँग मिलकर के बनती घटा , सिर्फ दो अंक का प्रश्न हल को मिला जोड़ करना था तुमने दिया है घटा , एक हैं अंक हम- एक हो अंक तुम- आओ दोनों को अब जोड़ दें..... तुम हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें । स्वप्न आँसू बहाकर न गीला करो , प्रेम का पाश इतना न ढीला करो , यूँ ही बढ़ती रहें अपनी नादानियाँ हमको छूकर के इतना नशीला करो , हम को जितना दिखा- सिर्फ तुमको लिखा- अब ये पन्ना यहीं मोड़ दें..... तुम हमारी क़सम तोड़ दो हम तुम्हारी क़सम तोड़ दें ।